अग्निपथ 2022 : नीतिगत सुधारों की आवश्यकता

  • कर्नल अमरदीप सिंह, सेना मेडल (सेवा निवृत्त)

सशस्त्र बलों में सैनिकों को शामिल करने के लिए सरकार की बहुप्रतीक्षित नीति अग्निपथ की घोषणा इसी सप्ताह की गई है। इस वर्ष, कुल 46500 अग्निवीर या अग्निपथ योजना के माध्यम से भर्ती किए गए सैनिकों को रक्षा बलों में शामिल किया जाएगा। 40000 अग्निवीर सेना में, 3500 वायुसेना और 3000 नौसेना में शामिल होंगे। अग्निवीरों की संख्या धीरे-धीरे बढ़ाई जाएगी। अभी यह योजना केवल पुरुष उम्मीदवारों के लिए है। भविष्य में इसे महिला सैनिकों के लिए भी लागू किया जाएगा। अग्निपथ के माध्यम से, सशस्त्र सेनाओं की औसत आयु में बड़ी कमी आएगी।  साथ ही भविष्य के युद्ध के लिए तकनीकी रूप से सशक्त सैनिक सेनाओं में शामिल हो सकेंगे। इस योजना का उद्देश्य है : –

(1) देश भर में अनुशासित युवा आधार बनाना

(2) युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा करना

(3) रक्षा बलों के लगातार बढ़ते वेतन और पेंशन बिल में बड़ी कटौती

(4) सेनाओं को अखिल भारतीय – सभी वर्ग योजना के तहत लाना

अग्निपथ में 4 साल की प्रारंभिक अवधि के लिए सैनिकों की भर्ती होगी। इस अवधि के अंत में उनमें से 75% अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्त हो जाएँगे। चयनित 25% को ही नियमित सैनिकों के रूप में रखा जाएगा। भर्ती प्रक्रिया आधिकारिक घोषणा के 90 दिनों के बाद शुरू होगी तथा अग्निवीरों कि पहली टोली जनवरी 2023 तक प्रशिक्षण केंद्रों में पहुँचेगी। योजना के विषय में विस्तृत निर्देश तीनों सेनाओं द्वारा जारी शीघ्र किये जाएँगे।   

आवश्यक परिवर्तन

उप-थलसेनाध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल बीएस राजू द्वारा दिया गया बयान विचार-विमर्श के योग्य है। जनरल राजू ने कहा है कि अग्निपथ एक सोची समझी नीति है, और इसे संशोधित करने के लिए पर्याप्त लचीलापन बरकरार रखा गया है। परिवर्तन धीरे धीरे होगा और सेनाओं के विभिन्न अंगों को इस परिवर्तन प्रक्रिया को सुचारु रुपे से लागू करने के लिए समय दिया जाएगा। जैसे एक इन्फैन्ट्री बटालियन में 4 वर्षों में केवल 100 अग्निवीर ही शामिल होंगे। ऐसी स्थिति कभी नहीं होगी जहां पूरी यूनिट में केवल अनुभवहीन सैनिक हों। दूसरा प्रमुख मुद्दा रेजिमेंट के आपसी तालमेल का है। स्पेशल फोर्स बटालियनों समेत कई यूनिटों में सैनिकों की भर्ती प्रदेश या जाति के आधार पर नहीं होती। राष्ट्रीय राइफल्स का गठन भी इसी सिद्धांत पर जिसने अभी तक बढ़िया काम किया है।

युवा सशस्त्र बल

हर साल अग्निवीरों के रूप में सेनाओं को युवा शक्ति मिलेगी। साथ ही देश को सेवा निवृत्त अग्निवीरों में एक अनुशासित युवा मिलेगा जो देश कि सुरक्षा और प्रगति में लाभदायक सिद्ध होगा। रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में केवल बुनियादी बातें कही गई हैं। सेवानिवृत्त 75% अग्निवीरों का भविष्य एक संवेदनशील मुद्दा है। कुछ मुद्दे जिन्हें प्रारम्भिक घोषणा में स्पष्ट नहीं किया गया है, उनपर मंथन करके सुधारने की आवश्यकता है।

2019 से 2021 के बीच चयनित सैनिकों के साथ अन्याय

पिछले दो वर्ष में सेनाओं के तीनों अंगों की भर्ती प्रक्रिया को महामारी तथा अग्निपथ योजना की संभावित घोषणा के कारण रोक दिया गया था। पर अनेक अभ्यर्थी इस से पहले ही भर्ती प्रक्रिया पूरी कर चुके थे और प्रशिक्षण पर जाने के लिए सूचना पत्र की प्रतीक्षा में थे। अग्निपथ के आते ही उनकी भर्ती की प्रक्रिया रद्द कर दी गई। पूरे देश में व्यापक और हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए हैं। सरकार  ने आयु सीमा में दो साल की एकमुश्त छूट देने पर सहमति दे दी है पर ये काफी नहीं है। चयनित अभ्यर्थियों को दोबारा मेडिकल परीक्षण के बाद प्रशिक्षण केंद्रों में भेज जाना चाहिए।

भाग्यशाली 25% : ये वो हैं जो कि चार वर्ष कि अवधि के बाद सेनाओं में वापस लिए जाएँगे। इनकी चार वर्ष की सेवा को पदोन्नति और पेंशन के लिए गणना में न लिया जाना न्यायसंगत नहीं है। सिर्फ पेंशन को बचना ध्येय है तो एकीकृत सेना मुख्यालय में लाखों असैनिक हैं जो पूरे साठ वर्ष की सेवा करने के बाद अपने पद की सर्वाधिक पेंशन के साथ सेवा निवृत्त होते हैं। इनकी संख्या पर रोक लगाना और इन्हें भी अग्निवीर जैसी योजना के अंतर्गत लाए जाने की आवश्यकता है।

महत्वपूर्ण 75%: सेवानिवृत्त अग्निवीरों के पुनर्वास को राज्य सरकरों और निजी संस्थाओं के भरोसे पर नहीं छोड़ा जाना चाहिए। इसके लिए स्पष्ट नीति बनानी होगी जिसपर सभी संस्थों को पालन करना अनिवार्य होना चाहिए। चार वर्ष के कार्यकाल के बाद सेवामुक्त होने वाले अग्निवीरों को निम्नलिखित विकल्प दिए जाने चाहियें।

क) शैक्षणिक योग्यता उन्नयन

बी) वेतन संरक्षण

ग) सहयोगी सेवाओं और सरकारी नौकरियों में समावेश

डी) स्वरोजगार का अवसर

ई) सामाजिक और वित्तीय लाभ

शैक्षणिक योग्यता उन्नयन

अग्निपथ के अंतर्गत दसवीं कक्षा के बाद शामिल अग्निवीरों को 12वीं कक्षा तक पढ़ाई का अवसर दिया जाएगा। इसके साथ ही उन्हें आवश्यक कौशल और अनुभव प्रमाण पत्र भी मिलेगा।  अग्निवीरों के शैक्षणिक और कौशल स्तर को उन्नत करने की आवश्यकता है ताकि वे पार्टियोगी परीक्षाओं में बैठ सकें। इसके साथ ही उन्हें आयु सीमा में कम से कम चार वर्ष की छूट भी देनी होगी। केंद्रीय विश्वविद्यालयों में स्नातक पाठ्यक्रमों में अग्निवीरों के लिए विशेष प्रावधान करना होगा। सेवा के दौरान और सेवामुक्त होने के बाद पढ़ाई जारी रखने का विकल्प उम्मीदवारों के लिए खुला छोड़ दिया जाना चाहिए। इन चार वर्षों की सैन्य सेवा को क्रेडिट ट्रांसफर व्यवस्था के माध्यम स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के लिए गिना जाना चाहिए। अग्निवीरों के लिए स्नातकोत्तर स्तर तक शिक्षा निशुल्क की जानी चाहिए।

वेतन संरक्षण

अग्निवीरों की पुनर्वास नीति के अंतर्गत उनके अंतिम वेतन को संरक्षित किया जाना चाहिए। 

सहयोगी सेवाओं और सरकारी नौकरियों में समावेश

केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों, राज्य पुलिस और अन्य संबंधित विभागों, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ में शामिल होने के लिए निश्चित कोटा और रक्षा मंत्रालय में उपयुक्त पदों को सैनिक कार्यकाल की अवधि के अंत में अग्निवीरों के लिए आरक्षित किया जाना चाहिए। प्राथमिकता दे देने भर से समस्या का समाधान नहीं होगा। स्वतंत्रता के सात दशक के बाद भी जब कमजोर वर्गों के लिए आरक्षण की व्यवस्था बरकरार है तो देश की रक्षा के लिए जान देने का संकल्प लेने वालों के लिए क्यों नहीं। सभी बालों और संस्थाओं को अग्निवीरों के रूप में अनुशासित कर्मी मिलेंगे। इस से सुरक्षा बलों के आरंभिक प्रशिक्षण पर होने वाला खर्च भी बचेगा। इससे बलों की संरचना प्रभावित नहीं होगी क्योंकि अग्निवीरों की संख्या समान रूप से अलग अलग विभागों और संस्थानों में वितरित की जाएगी। सेवा के दौरान घायल सभी अग्निवीरों को वेतन संरक्षण के साथ सरकारी रोजगार दिया जाना चाहिए। तत्काल रोजगार का विकल्प चुनने वालों को तीन से छह महीने का कौशल उन्नयन प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। इन्हें सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में समाहित किया जा सकता है। इसका खर्च बड़ी औद्योगिक इकाइयों के सीएसआर बजट द्वारा वहाँ किया जा सकता है। 

स्वरोजगार का अवसर

स्वरोजगार के अवसर के तहत प्रशिक्षण और कम दर पर बैंक या सरकारी संस्थाओं द्वारा ऋण की व्यवस्था की जानी चाहिए। अग्निवीरों को कम से कम 3 वर्षों के लिए रिजर्व सैनिक  के रूप में रखा जाना चाहिए। इस अवधि के दौरान उन्हें एक रिज़रविस्ट वेतन दिया जा सकता है। युद्ध की स्थिति में ये रिजर्व सैनिक वापस सेनाओं में लिए जा सकते हैं।

सामाजिक और वित्तीय लाभ

क) अधिकारी बनने के विकल्प: अग्निवीरों को एनसीसी सी-सर्टिफिकेट जैसे विशेष प्रावधान दिए जाने चाहिए जो उन्हें अधिकारियों की प्रविष्टियों के लिए योग्य बनाएंगे। सेवा मुक्ति के बाद शिक्षण संस्थों द्वारा अधिकारी बनने के लिए इनको विशेष प्रशिक्षण कम खर्च पर उपलब्ध कराया जा सकता है।

बी) मेडिकल कवर : अग्निवीरों को एकमुश्त भुगतान वाला मेडिकल कवर प्रदान किया जाना चाहिए।

ग) समूह बीमा कवर : यह भी सेवानिवृत्ति के बाद अतिरिक्त सुरक्षा कवच के रूप में अग्निवीरों को दिया जा सकता है।

सेवानिवृत्त अग्निवीर सदस्यों के हितों की देखभाल करने वाले अग्निवीर संघ का गठन करने की भी आवश्यकता है जो कि समय आने पर उनकी समस्याओं को सरकार और नयायले के समक्ष रक सके।

अग्निपथ नीति में सकारात्मकता है। चूंकि राज्यों को कोटा दिया गया है, यह सशस्त्र बलों में अधिक समान राष्ट्रीय प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करेगा। राष्ट्रीय चरित्र और उसकी सुरक्षा के लिए प्रशिक्षित अग्निवीरों के योगदान को कम करके नहीं आंका जा सकता है। अग्निपथ को सफल बनाने के लिए सरकार को चार वर्ष के बाद सेवा मुक्त होने वाले 75% सैनिकों के हितों की रक्षा के लिए पक्के नीतिगत निर्णयों की घोषणा करनी चाहिए। इस योजना को संदेह की दृष्टि से देखने वालों से अनुरोध है कि सेनाओं पर विश्वास रखें।